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उत्तराखंड के प्रो. अखिलेश सिंह ने रचा इतिहास — बनाया सोच से चलने वाला ईवी चार्जर!

देहरादून:उत्तराखंड की धरती ने एक बार फिर नवाचार की मिसाल पेश की है। देहरादून स्थित एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अखिलेश सिंह ने ऐसा अनोखा ईवी...

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ChaloPahad Team
October 8, 2025
Oct 8, 2025 | Uttarakhand News
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उत्तराखंड के प्रो. अखिलेश सिंह ने रचा इतिहास — बनाया सोच से चलने वाला ईवी चार्जर!

देहरादून:

उत्तराखंड की धरती ने एक बार फिर नवाचार की मिसाल पेश की है। देहरादून स्थित एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अखिलेश सिंह ने ऐसा अनोखा ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) चार्जर विकसित किया है, जो व्यक्ति की सोच से नियंत्रित किया जा सकता है। यह आविष्कार न केवल तकनीकी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर “नवाचार के केंद्र” के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।


नवाचार की दिशा में बड़ा कदम

प्रो. अखिलेश सिंह द्वारा विकसित यह “ब्रेन-कंट्रोल्ड ईवी चार्जर” (Brain-Controlled EV Charger) आधुनिक तकनीक और न्यूरो-साइंस का अनूठा संगम है। यह डिवाइस व्यक्ति के मस्तिष्क की तरंगों (Brain Waves) को पहचानकर चार्जिंग प्रक्रिया को प्रारंभ या बंद करने में सक्षम है। प्रोफेसर सिंह के अनुसार, “इस आविष्कार का उद्देश्य तकनीक को मनुष्य की सोच से जोड़ना है, जिससे ऊर्जा और समय दोनों की बचत हो सके।”


वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने की सराहना

इस इनोवेशन की चर्चा न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर के वैज्ञानिक समुदाय में हो रही है। दिल्ली आईआईटी और आइआइएससी बेंगलुरु के विशेषज्ञों ने इसे ‘भविष्य की तकनीक’ करार दिया है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, “यह शोध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और न्यूरो-साइंस के क्षेत्र में भारत को नई दिशा दिखा सकता है।”


पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र के लिए वरदान

ईवी चार्जिंग को लेकर दुनिया भर में स्थायी और स्मार्ट समाधान की तलाश जारी है। प्रो. सिंह का यह आविष्कार पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी अहम है। यह न केवल ऊर्जा की खपत को कम करेगा बल्कि पारंपरिक चार्जिंग सिस्टम पर निर्भरता घटाने में मदद करेगा। राज्य सरकार भी इस आविष्कार को ‘ग्रीन इनोवेशन’ के रूप में प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है।


नए युग की तकनीक की ओर कदम

यह आविष्कार साबित करता है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में भी उच्चस्तरीय अनुसंधान और इनोवेशन संभव है। यदि इस तकनीक का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया जाता है, तो यह न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बड़ी सफलता हासिल कर सकता है।


निष्कर्ष:

प्रो. अखिलेश सिंह का यह अनूठा आविष्कार भारत की तकनीकी क्षमता और सोच की गहराई को दर्शाता है। सोच से नियंत्रित होने वाला यह ईवी चार्जर न केवल विज्ञान के नए अध्याय की शुरुआत है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है कि अगर सोच सकारात्मक और रचनात्मक हो — तो असंभव कुछ भी नहीं।

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