उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच हमेशा एक चुनौती रही है। छोटे गाँवों और दूरदराज़ के कस्बों में अगर कोई गंभ...
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच हमेशा एक चुनौती रही है। छोटे गाँवों और दूरदराज़ के कस्बों में अगर कोई गंभीर बीमारी या दुर्घटना हो जाए, तो मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने में कई घंटे या कभी-कभी पूरे दिन लग जाते हैं। अब सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (HEOC) बनाने का फैसला किया है।
HEOC: क्या है और क्यों जरूरी
HEOC का मतलब है हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर। यह केंद्र राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का समन्वय करेगा। अगर किसी इलाके में अचानक स्वास्थ्य संकट आएगा—जैसे बड़ी दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा या महामारी का खतरा—तो HEOC तुरंत सक्रिय हो सकेगा।
डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव, कहते हैं, “इस केंद्र का मुख्य मकसद है कि स्वास्थ्य आपातकाल में तेजी से कार्रवाई हो। मरीजों तक मदद समय पर पहुंचे, और कोई लापरवाही न हो।”
इस केंद्र में नौ संविदा पद बनाए गए हैं। इनमें डेटा विश्लेषक, वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार और हब इंजीनियर शामिल हैं। नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। केंद्र का संचालन पारदर्शी बनाने के लिए इसका अलग बैंक खाता भी खोला जाएगा।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती हमारी प्राथमिकता है। HEOC के जरिए अब आपात स्थिति में तेजी से और समन्वित प्रतिक्रिया दी जा सकेगी। यह जनता के लिए एक भरोसे का कदम है।”
लोगों की उम्मीदें
स्थानीय लोग इस फैसले को लेकर खुश हैं। मुनस्यारी की सीमा कुमारी कहती हैं, “पहले अगर कोई बीमार हो जाता था, तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने में बहुत मुश्किल होती थी। अब लगता है मदद जल्दी पहुंचेगी।”
राजेश बिष्ट, एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, बताते हैं, “हमारे लिए यह सुविधा सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है। यह जीवन और सुरक्षा की बात है। दूरदराज़ गाँवों में रहने वाले लोगों के लिए यह बहुत जरूरी है।”
अस्पतालों के कर्मचारी भी इससे उम्मीदें लगाकर बैठे हैं। कई अस्पतालों में छोटे उपकरण और आपातकालीन दवाओं की आपूर्ति हमेशा सीमित रहती है। HEOC के जरिए वे जल्दी निर्णय ले पाएंगे और जरूरी संसाधन वहां भेज पाएंगे।
चुनौतियां
केंद्र की स्थापना जरूरी कदम है, लेकिन इसे सही तरीके से चलाना भी जरूरी है। इसके लिए पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षित कर्मचारी और तकनीकी तैयारी जरूरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह सब ठीक से किया गया, तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता दोनों बेहतर होंगे।
आगे की राह
सरकार को अब HEOC को सिर्फ एक भवन बनाने तक सीमित नहीं रखना है। इसे सक्रिय रूप से चलाना होगा। कर्मचारियों को समय पर प्रशिक्षित करना होगा। डेटा और जानकारी को तुरंत अपडेट रखना होगा। केवल तभी यह केंद्र सच में काम आएगा और आपातकालीन स्थिति में मदद समय पर पहुंच सकेगी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर का निर्माण एक बड़ा कदम है। यह केंद्र सिर्फ आकस्मिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान नहीं करेगा, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को भी मजबूत करेगा। और सबसे अहम बात यह है कि लोगों की जिंदगी में सुरक्षा का भरोसा पैदा करेगा।
“अब हमें उम्मीद है कि कोई भी स्वास्थ्य आपातकाल हमें अकेला नहीं छोड़ेगा,” सीमा कुमारी कहती हैं। यही इस केंद्र की असली सफलता होगी।