हल्द्वानी। नैनीताल ज़िले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने हर किसी को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया। पूर्व बीडीसी सदस्य प्रकाश ने अपनी पत्नी को...
हल्द्वानी। नैनीताल ज़िले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने हर किसी को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया। पूर्व बीडीसी सदस्य प्रकाश ने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश में खुद जहर निगल लिया, और उसे अकेले ही जीप में डालकर अस्पताल पहुंचाया। यह घटना न केवल उनके प्रेम और समर्पण का उदाहरण पेश करती है, बल्कि समाज में वैवाहिक तनावों और मानसिक दबावों की भयावहता पर भी सवाल खड़े करती है।
घटना का विवरण: जहर खाने के बाद भी दिखाया साहस
जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी के निकटवर्ती क्षेत्र के निवासी प्रकाश, जो पहले ब्लॉक विकास समिति (BDC) के सदस्य रह चुके हैं, की पत्नी ने अज्ञात कारणों से जहर खा लिया। जब प्रकाश को इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने बिना किसी की सहायता के, पत्नी को बचाने की कोशिश में खुद भी जहर खा लिया और उसे जीप में डालकर एसटीएच (सुशीला तिवारी अस्पताल) पहुंचाया।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, प्रकाश ने विष की हालत में भी अपनी पत्नी को प्राथमिकता देते हुए अस्पताल तक पहुंचाया। “अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उनकी हालत गंभीर थी, लेकिन उनका पहला सवाल था — मेरी पत्नी कैसी है?” एक चिकित्सक ने बताया।
डॉक्टरों की टीम ने की जद्दोजहद
एसटीएच में डॉक्टरों की एक टीम ने दोनों का इलाज शुरू किया। पत्नी की हालत चिंताजनक बताई जा रही है, जबकि प्रकाश की स्थिति भी स्थिर नहीं थी।
“दोनों मरीजों को विषाक्त पदार्थ के प्रभाव से बाहर लाने की पूरी कोशिश की जा रही है,” अस्पताल प्रशासन ने बयान जारी कर कहा।
स्थानीय लोग बोले — ‘प्रकाश ने कर दिखाया असली प्रेम’
घटना के बाद स्थानीय लोग और परिजन अस्पताल पहुंचे। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि प्रकाश हमेशा अपनी पत्नी के साथ प्रेमपूर्वक रहते थे।
“वो भले ही गुस्से में रहे हों या परेशानी में, लेकिन पत्नी के प्रति उनका समर्पण अद्वितीय था। उन्होंने आज जो किया, वह किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं,” एक पड़ोसी ने कहा।
सामाजिक चिंता और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक गहरी सामाजिक चिंता को भी उजागर करती है — वैवाहिक विवादों और पारिवारिक तनावों के कारण लोग किस हद तक चरम कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं मानसिक स्वास्थ्य सहायता की कमी की ओर इशारा करती हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा भट्ट का कहना है, “ऐसे मामलों में संवाद की कमी और भावनात्मक दबाव अक्सर लोगों को आत्मघाती कदम उठाने की ओर धकेल देते हैं। समाज को इस दिशा में जागरूक होना होगा।”
निष्कर्ष: प्रेम, पीड़ा और एक संदेश
यह हृदय विदारक घटना एक ओर प्रेम और समर्पण की मिसाल पेश करती है, तो दूसरी ओर सामाजिक तंत्र की कमजोरी पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
अब सवाल यह है — क्या हम अपने आस-पास के लोगों की भावनात्मक तकलीफों को समझने और उनसे संवाद करने में पर्याप्त संवेदनशील हैं?
हर परिवार, हर व्यक्ति को यह कहानी यह सोचने पर मजबूर करती है कि जीवन कितना अनमोल है — और किसी भी परिस्थिति में संवाद, मदद और सहानुभूति ही सबसे बड़ा समाधान है।