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देहरादून: DM की सूझ-बूझ ने परिवार टूटने से बचाया

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण की भी झलक देखने को म...

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ChaloPahad Team
October 6, 2025
Oct 6, 2025 | Uttarakhand News
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देहरादून: DM की सूझ-बूझ ने परिवार टूटने से बचाया

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण की भी झलक देखने को मिली। देहरादून के जिलाधिकारी (DM) ने अपनी सूझ-बूझ और संवेदनशीलता से एक ऐसे परिवार को टूटने से बचा लिया, जो गंभीर पारिवारिक विवाद की वजह से बिखरने की कगार पर था।

पारिवारिक विवाद से उपजा संकट

जानकारी के अनुसार, शहर में रहने वाला एक परिवार लंबे समय से आपसी कलह से जूझ रहा था। मामूली विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि बात तलाक और अलगाव तक पहुंच गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए यह प्रशासन के संज्ञान में आया।

DM की पहल और मानवीय दृष्टिकोण

जिलाधिकारी ने मामले को केवल एक औपचारिक शिकायत की तरह न लेते हुए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया। उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाकर शांतिपूर्वक बातचीत कराई और स्थिति को समझा।

एक अधिकारी ने बताया, “DM साहब ने परिवार के सदस्यों को धैर्यपूर्वक सुना और आपसी संवाद को प्रोत्साहित किया। उनकी संवेदनशीलता और समझदारी ने स्थिति को संभालने में बड़ी भूमिका निभाई।”

समझदारी से निकला समाधान

लंबी बातचीत और समझाइश के बाद परिवार ने आपसी मतभेदों को भुलाने और एक साथ रहने का फैसला किया। इस पहल से न केवल एक परिवार टूटने से बचा, बल्कि बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हुआ।

एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “प्रशासनिक अधिकारी अक्सर नियम-कानून तक सीमित रहते हैं, लेकिन इस मामले में DM ने मानवीय दृष्टिकोण दिखाकर एक मिसाल कायम की है।”

सामाजिक महत्व और व्यापक संदेश

यह घटना केवल एक परिवार की समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। पारिवारिक कलह और टूटन आज कई घरों में गंभीर समस्या बन चुकी है। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर भी संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष

देहरादून के इस मामले ने साबित किया है कि यदि प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी के साथ मानवीय संवेदनशीलता भी दिखाएं, तो वे केवल कानून-व्यवस्था ही नहीं, बल्कि समाज में सामंजस्य और एकता कायम रखने में भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

👉 यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि अगर हर स्तर पर संवाद और समझदारी को प्राथमिकता दी जाए, तो कितने परिवार और रिश्ते टूटने से बचाए जा सकते हैं।

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