देहरादून। दीपावली के त्योहारी मौसम में जहाँ आम जनता खरीदारी और तैयारी में व्यस्त है, वहीं जुआ और सट्टेबाज़ी का काला खेल भी जोर पकड़ने लगता ह...
देहरादून। दीपावली के त्योहारी मौसम में जहाँ आम जनता खरीदारी और तैयारी में व्यस्त है, वहीं जुआ और सट्टेबाज़ी का काला खेल भी जोर पकड़ने लगता है। इसी कड़ी में उत्तराखंड पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 13 जुआरियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से साढ़े चार लाख रुपये नगद बरामद किए। यह कार्रवाई त्योहारों के दौरान बढ़ने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की मुस्तैदी को दर्शाती है।
त्योहार और जुए का काला रिश्ता
दीपावली के समय जुए का चलन कोई नया नहीं है। कई जगहों पर इसे परंपरा की आड़ में खेला जाता है, लेकिन समय के साथ यह गैरकानूनी गतिविधियों और संगठित अपराधों का रूप लेने लगा है। विशेषज्ञों के अनुसार, “त्योहारी सीजन में जुआ और सट्टा न केवल अवैध है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को भी जन्म देता है।”
पुलिस की बड़ी कार्रवाई
पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर दबिश देकर यह सफलता हासिल की। अधिकारियों के अनुसार, छापेमारी के दौरान मौके से 13 जुआरी गिरफ्तार किए गए और लगभग 4.5 लाख रुपये नकद बरामद किए गए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम लगातार निगरानी रख रहे हैं ताकि दीपावली और अन्य त्योहारों के दौरान अवैध गतिविधियों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।”
जुआरियों का नेटवर्क और भविष्य की रणनीति
पुलिस का मानना है कि इस तरह के गिरोह त्योहारों से पहले सक्रिय हो जाते हैं और आसपास के जिलों तक अपने नेटवर्क फैला लेते हैं। गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इसके पीछे कोई बड़ा सट्टा गिरोह काम कर रहा है या नहीं।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और सख्त निगरानी रखी जाएगी।
समाज पर पड़ने वाला असर
जुआ केवल कानूनी अपराध नहीं बल्कि सामाजिक बुराई भी माना जाता है। आर्थिक जानकारों के अनुसार, “त्योहारी सीजन में लोग लालच और आसान पैसे की चाहत में जुए में फंस जाते हैं। इसका असर परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक रिश्तों पर पड़ता है।”
निष्कर्ष
उत्तराखंड पुलिस की यह कार्रवाई त्योहारों से पहले अपराध नियंत्रण की दिशा में अहम कदम है। दीपावली जैसे पवित्र पर्व को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा।
👉 सवाल यह है कि क्या सिर्फ पुलिस की कार्रवाई से इस गहरी जड़ें जमा चुकी बुराई पर अंकुश लगाया जा सकता है, या फिर समाज को भी जागरूक होकर इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी?