रामनगर (उत्तराखंड)। नैनीताल जिले के प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में एक अनोखी और चौंकाने वाली घटना घटी। देर रात एक जंगली हाथी अचानक मंदिर परि...
रामनगर (उत्तराखंड)। नैनीताल जिले के प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में एक अनोखी और चौंकाने वाली घटना घटी। देर रात एक जंगली हाथी अचानक मंदिर परिसर में घुस आया और करीब दो घंटे तक उत्पात मचाता रहा। यह पहली बार है जब स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने हाथी को गर्जिया मंदिर परिसर तक पहुँचते देखा। घटना ने पूरे इलाके में दहशत और आश्चर्य दोनों ही पैदा कर दिए।
कैसे घटी घटना?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, देर रात हाथी कुमाऊँ क्षेत्र के जंगलों से भटकते हुए मंदिर परिसर तक पहुँच गया। इस दौरान उसने परिसर की दीवारों और गेट को क्षतिग्रस्त कर दिया। मंदिर प्रबंधन समिति ने बताया कि “करीब दो घंटे तक हाथी ने इधर-उधर घूमकर नुकसान पहुँचाया। सौभाग्य से उस समय श्रद्धालु मौजूद नहीं थे, वरना स्थिति गंभीर हो सकती थी।”
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे पहली बार हाथी को इस इलाके तक आते देख रहे हैं। आमतौर पर जंगली हाथियों की गतिविधियाँ मंदिर से दूर जंगलों तक ही सीमित रहती थीं।
प्रशासन और वन विभाग की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीमें मौके पर पहुँचीं। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया, “हाथी संभवतः भोजन और पानी की तलाश में भटककर मंदिर परिसर तक पहुँच गया। रात भर उसे नियंत्रित करने की कोशिश की गई और अंततः वह जंगल की ओर लौट गया।”
वन विभाग ने मंदिर क्षेत्र में एहतियातन निगरानी बढ़ा दी है और सीसीटीवी कैमरों की मदद से आसपास की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की चिंता
गर्जिया देवी मंदिर उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। ऐसी स्थिति में हाथी का मंदिर परिसर तक पहुँचना सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक श्रद्धालु ने कहा, “हम यहाँ आस्था और शांति के लिए आते हैं। लेकिन अगर जंगली जानवर मंदिर तक पहुँचने लगे तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है।”
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना जंगलों में भोजन और जलस्रोत की कमी का परिणाम हो सकती है। “हाथियों के प्राकृतिक आवास सिकुड़ते जा रहे हैं, जिसकी वजह से वे इंसानी बस्तियों और धार्मिक स्थलों तक पहुँचने लगे हैं। यह मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं का संकेत है।” – पर्यावरण विशेषज्ञ ने बताया।
निष्कर्ष
गर्जिया मंदिर परिसर में हाथी का पहुँचना केवल एक असामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह हमें वन्यजीव संरक्षण और मानव-प्रकृति के बीच संतुलन पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर करता है। एक तरफ यह घटना लोगों में भय पैदा करती है, वहीं दूसरी ओर यह इस बात की चेतावनी भी है कि जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण के बिना ऐसे टकराव आगे और बढ़ सकते हैं।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर ऐसे कदम उठा पाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास—दोनों सुरक्षित रह सकें?