देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्यभर में प्रतिबंधित...
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्यभर में प्रतिबंधित कफ सिरप की बिक्री और सप्लाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल प्रशासन की संयुक्त टीमों ने छापेमारी कर कई जगहों से प्रतिबंधित दवाइयों को जब्त किया है।
प्रतिबंधित कफ सिरप पर क्यों कार्रवाई?
हाल के वर्षों में विभिन्न राज्यों से ऐसी शिकायतें सामने आईं कि कुछ कफ सिरप का दुरुपयोग नशे के रूप में किया जा रहा है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी थी कि इन सिरप में मौजूद रसायन किशोरों और युवाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कहा, “राज्य में प्रतिबंधित और हानिकारक दवाओं की बिक्री किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जनता का स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
छापेमारी और जब्ती अभियान
स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और हल्द्वानी समेत कई जिलों में फार्मेसियों और थोक दवा दुकानों पर छापे मारे। शुरुआती जांच में कई दुकानों से प्रतिबंधित सिरप की बोतलें बरामद की गईं।
ड्रग कंट्रोल विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी, “हम लगातार निगरानी कर रहे हैं। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ लाइसेंस निलंबन से लेकर कानूनी कार्रवाई तक की जाएगी।”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
चिकित्सकों का कहना है कि कफ सिरप का अनुचित उपयोग शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। यह लिवर और किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
एम्स ऋषिकेश के एक डॉक्टर ने बताया, “कफ सिरप का लंबे समय तक नशे के तौर पर सेवन युवाओं की मानसिक और शारीरिक सेहत को बर्बाद कर देता है। सरकार का यह कदम समय की मांग है।”
कानून व्यवस्था और नशे के खिलाफ सख्ती
उत्तराखंड सरकार नशे और अवैध दवाओं के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में कहा था कि नशा मुक्त उत्तराखंड उनका संकल्प है। प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाना इसी दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार का यह कदम न केवल दवा नियंत्रण बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण निर्णय है। प्रतिबंधित कफ सिरप पर कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि अब स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
यह कदम एक बड़ा संदेश देता है कि अगर समाज को स्वस्थ और नशामुक्त बनाना है तो सरकार, प्रशासन और समाज—सभी को मिलकर सख्त और जिम्मेदार भूमिका निभानी होगी।