देहरादून। खेलों की गूंज जब मैदान में गूँजती है तो वह केवल खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पूरे समाज को ऊर्जा और प्रेरणा से भर देती है।...
देहरादून। खेलों की गूंज जब मैदान में गूँजती है तो वह केवल खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पूरे समाज को ऊर्जा और प्रेरणा से भर देती है। राजधानी देहरादून हाल ही में ऐसे ही जोश और उल्लास का गवाह बना, जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मैदान पर उतरकर अपने धमाकेदार शॉट्स से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस मौके ने न केवल खेल प्रेमियों को उत्साहित किया, बल्कि उत्तराखंड की खेल संस्कृति और बढ़ते खेल ढांचे को भी सुर्खियों में ला दिया।
खेलों में उत्तराखंड की नई पहचान
उत्तराखंड, जो अब तक अपनी प्राकृतिक सुंदरता और तीर्थ स्थलों के लिए पहचाना जाता था, अब खेलों की दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ने लगा है। हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए निवेश और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन ने राज्य को खेल प्रतिभाओं की नई भूमि बना दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिकेट से लेकर एथलेटिक्स, बॉक्सिंग से लेकर फुटबॉल तक, विभिन्न खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहे हैं।
सीएम धामी का स्पोर्ट्स स्पिरिट
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने खुद बल्ला थामा और मैदान पर शॉट्स खेलते ही स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। उनका यह अंदाज़ युवाओं को संदेश देता है कि राजनीति और प्रशासन से इतर खेल भी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
धामी ने कहा, “खेल सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि अनुशासन, टीम भावना और आत्मविश्वास को बढ़ाने का सबसे बड़ा जरिया हैं। हमारी सरकार राज्य को खेलों का हब बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।”
दर्शकों और खिलाड़ियों का उत्साह
मैदान पर मौजूद दर्शकों ने सीएम के हर शॉट का जोरदार स्वागत किया। एक स्थानीय खिलाड़ी ने कहा, “सीएम साहब का इस तरह से खेलों में हिस्सा लेना युवाओं को बड़ी प्रेरणा देता है। इससे लगता है कि सरकार वास्तव में खेलों को बढ़ावा देने के लिए गंभीर है।”
दूसरी ओर, छात्र-छात्राओं और युवा खिलाड़ियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राज्य में खेलों के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
सरकार की पहल और भविष्य की राह
उत्तराखंड सरकार ने हाल के वर्षों में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। खेल नीति में खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति, कोचिंग सुविधाएं और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भागीदारी के अवसर दिए जा रहे हैं।
खेल विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसी तरह सरकार का समर्थन और खिलाड़ियों का जोश कायम रहा, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड खेल प्रतिभाओं का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
निष्कर्ष
देहरादून में सीएम धामी के धमाकेदार शॉट्स केवल एक खेल प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि एक प्रतीक थे—प्रतीक उस बदलते उत्तराखंड का जो खेलों में अपनी पहचान बना रहा है। यह पल दर्शाता है कि सही दिशा में उठाए गए कदम और नेतृत्व का व्यक्तिगत जुड़ाव, समाज में बड़े बदलाव ला सकता है।
अब जिम्मेदारी है कि सरकार, खिलाड़ी और समाज मिलकर इस गति को बनाए रखें ताकि उत्तराखंड खेलों की दुनिया में सचमुच ‘धूम मचा’ सके।