देहरादून, 2 अक्टूबर 2025 — उत्तराखंड में मानसून की औपचारिक विदाई की घोषणा हो चुकी है, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ और सक्रिय मौसमी प्रणालियों के चल...
देहरादून, 2 अक्टूबर 2025 — उत्तराखंड में मानसून की औपचारिक विदाई की घोषणा हो चुकी है, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ और सक्रिय मौसमी प्रणालियों के चलते राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश का खतरा अभी भी बरकरार है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों के लिए कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी में बने दबाव क्षेत्र का असर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक दिखाई देगा। इससे उत्तराखंड के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों और तराई-भाबर क्षेत्र में तेज बारिश हो सकती है।
किन जिलों में अलर्ट
अलर्ट खास तौर पर चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और नैनीताल जैसे पर्वतीय जिलों के लिए जारी किया गया है। इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में भी तेज बारिश की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने निचले इलाकों और नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
संभावित प्रभाव
नदी और नाले: भारी बारिश से जलस्तर अचानक बढ़ सकता है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भूस्खलन का खतरा: पर्वतीय ढलानों पर मिट्टी खिसकने और सड़कों के अवरुद्ध होने की संभावना है।
यात्रा प्रभावित: प्रमुख मार्गों पर यातायात बाधित हो सकता है, जिसके लिए परिवहन विभाग ने निगरानी तेज कर दी है।
कृषि पर असर: कटाई के दौर से गुजर रही फसलें बारिश से नुकसान उठा सकती हैं।
प्रशासन की तैयारी
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। बचाव दल और हेल्पलाइन सक्रिय रखे गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाई गई है और जरूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की तैयारी भी की गई है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय रहा है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में भी बारिश का असर दिखना यह दर्शाता है कि मौसम की बदलती प्रवृत्तियाँ अब लंबे समय तक असर डाल सकती हैं। ऐसे में सड़क, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन तंत्र को और मज़बूत करने की जरूरत है।
जनता के लिए सुझाव
निचले इलाकों के लोग ऊँचे स्थानों की ओर रुख करें।
अनावश्यक यात्रा से बचें और निकलने से पहले मार्ग की जानकारी लें।
फसल और भंडारण को बारिश से बचाने के इंतज़ाम करें।
प्रशासन और मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट पर नजर बनाए रखें।
निष्कर्ष
मानसून की विदाई अधूरी रहने से उत्तराखंड अभी भी मौसम की मार झेल रहा है। भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए प्रशासन सतर्क है, लेकिन जन-सहभागिता और सावधानी ही आपदा को कम करने का सबसे बड़ा साधन साबित हो सकती है।