देहरादून – उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र को जोड़ने वाली हवाई सेवा पर अचानक ब्रेक लग गया है। इस सेवा से लोगों को यात्रा में समय की ब...
देहरादून – उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र को जोड़ने वाली हवाई सेवा पर अचानक ब्रेक लग गया है। इस सेवा से लोगों को यात्रा में समय की बचत होती थी और राज्य के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा था। अब सेवा के ठप होने से यात्रियों और स्थानीय लोगों को फिर से सड़क मार्ग पर निर्भर होना पड़ेगा।
हवाई सेवा क्यों थी महत्वपूर्ण?
गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सड़क मार्ग लंबा और कठिन है। देहरादून से पिथौरागढ़, अल्मोड़ा या नैनीताल जाने में कई घंटे लगते हैं। ऐसे में हवाई सेवा शुरू होने से लोगों को बड़ी राहत मिली थी। खासकर व्यापारियों, छात्रों और पर्यटकों ने इसका खूब लाभ उठाया।
पर्यटन उद्योग से जुड़े एक होटल व्यवसायी ने कहा, “हवाई सेवा से हमारी बुकिंग बढ़ने लगी थी। लेकिन अब इसके रुकने से सीधा असर देखने को मिलेगा।”
बंद होने के पीछे की वजह
हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि तकनीकी दिक्कतों और वित्तीय बाधाओं के कारण फिलहाल उड़ानें स्थगित कर दी गई हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यात्रियों की संख्या अपेक्षा से कम होने से भी यह निर्णय लिया गया।
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हवाई सेवा को जारी रखने के लिए सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर कोई ठोस समाधान निकालना होगा। बिना आर्थिक सहयोग के इस तरह की सेवाएं लंबे समय तक चलाना मुश्किल है।”
यात्रियों और स्थानीय जनता की परेशानी
सेवा बंद होने से आम यात्रियों में निराशा है। अब लोगों को गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सफर करने में फिर से 10–12 घंटे लगेंगे। मरीजों और आपात स्थिति में यात्रा करने वालों के लिए यह बड़ी समस्या साबित हो सकती है।
स्थानीय निवासी माया बिष्ट ने कहा, “हवाई सेवा से बुजुर्गों और बीमार लोगों को बहुत राहत मिलती थी। अब हमें फिर लंबी सड़क यात्राओं का सामना करना पड़ेगा।”
आगे की राह
सरकार के सामने चुनौती है कि इस हवाई सेवा को कैसे दोबारा शुरू किया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार उचित सब्सिडी दे और पर्यटन पैकेज के साथ हवाई सेवा को जोड़े, तो यात्रियों की संख्या बढ़ सकती है।
पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम विकल्प तलाश रहे हैं। प्रयास रहेगा कि जल्द ही सेवा फिर शुरू हो सके।”
निष्कर्ष
गढ़वाल-कुमाऊं हवाई सेवा का ठप होना सिर्फ एक परिवहन समस्या नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड के विकास और पर्यटन के लिए भी एक बड़ा झटका है। इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पहाड़ी राज्य में हवाई संपर्क को स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए ठोस नीतियों और दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है।
अगर सरकार और निजी कंपनियां मिलकर आगे कदम उठाती हैं, तो यह सेवा न केवल फिर से शुरू हो सकती है, बल्कि उत्तराखंड के आर्थिक और सामाजिक विकास की नई राह भी खोल सकती है।