चंपावत। चंपावत ज़िले में ग्रामीणों ने लुवाकोट-एड़ीधूरा सड़क मार्ग पर शेष बचे 3 किलोमीटर हिस्से के डामरीकरण की मांग को लेकर आवाज़ बुलंद की है...
चंपावत। चंपावत ज़िले में ग्रामीणों ने लुवाकोट-एड़ीधूरा सड़क मार्ग पर शेष बचे 3 किलोमीटर हिस्से के डामरीकरण की मांग को लेकर आवाज़ बुलंद की है। लंबे समय से अधूरे पड़े इस कार्य से स्थानीय लोगों को आवागमन में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जिससे ग्रामीणों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है।
अधूरा काम, पूरा बोझ जनता पर
लुवाकोट-एड़ीधूरा मार्ग का अधिकांश हिस्सा डामर से ढक दिया गया है, लेकिन करीब तीन किलोमीटर अब भी कच्चा पड़ा है। यह अधूरा काम न सिर्फ लोगों के लिए असुविधा का कारण है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ा रहा है।
स्थानीय निवासी नारायण दत्त भट्ट ने कहा, “बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ से भर जाता है। कई बार बीमारों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में भी कठिनाई होती है।”
विकास योजनाओं पर सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि अधूरे डामरीकरण कार्य से सरकार की विकास योजनाओं पर सवाल उठता है। ग्रामीण बताते हैं कि सड़क निर्माण कार्य का बजट पास होने के बावजूद काम अधूरा छोड़ दिया गया है। इस कारण आम जनता को रोज़ाना जोखिम उठाकर इस मार्ग से गुज़रना पड़ता है।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर दबाव
गांववालों ने संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से जल्द से जल्द कार्य पूरा कराने की अपील की है। स्थानीय प्रधान मीरा देवी ने कहा, “हमने कई बार प्रशासन और लोक निर्माण विभाग को ज्ञापन सौंपा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अगर जल्दी काम नहीं हुआ तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों का कहना है कि शेष सड़क पर डामरीकरण कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार, तकनीकी कारणों और बजट संबंधी अड़चनों के चलते काम अटका हुआ था, लेकिन इसे प्राथमिकता में शामिल कर लिया गया है।
निष्कर्ष
लुवाकोट-एड़ीधूरा मार्ग पर अधूरा पड़ा डामरीकरण कार्य इस बात की ओर इशारा करता है कि विकास योजनाएं ज़मीनी स्तर तक सही रूप से लागू नहीं हो पा रही हैं। सवाल यह है कि जिन बुनियादी सुविधाओं की गारंटी सरकारें जनता को देती हैं, वे आखिर कब तक अधूरी ही रह जाएंगी?
स्थानीय लोग अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनकी वर्षों पुरानी मांग पूरी होगी और इस अधूरे काम पर जल्द ही विराम लगेगा।