उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले में एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्य आरोपी खालिद की अवैध संपत्ति पर प्रशासन का बुलड...
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले में एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्य आरोपी खालिद की अवैध संपत्ति पर प्रशासन का बुलडोज़र चला दिया गया। यह कदम सरकार और प्रशासन की ओर से युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
खालिद की संपत्ति पर गिरी गाज
हल्द्वानी और उसके आसपास खालिद की जिन संपत्तियों को अवैध पाया गया, उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। प्रशासन का कहना है कि इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश देना था कि अपराध से कमाई गई संपत्ति टिक नहीं सकती। स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया, “यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी आधार पर की गई है। आगे भी दोषियों पर इसी तरह कार्रवाई जारी रहेगी।”
सामाजिक और पारिवारिक असर
इस पूरे मामले का असर सिर्फ आरोपी पर ही नहीं पड़ा, बल्कि उसके परिवार पर भी गहरा आघात पहुंचा है। खालिद की दो बहनों की शादियां इस विवाद के बाद टूटने की चर्चा है। गांव और आसपास के इलाकों में लोग इसे एक बड़ी सामाजिक त्रासदी के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय निवासी ने कहा, “खालिद के लालच का खामियाजा उसकी बहनों को भुगतना पड़ा। यह पूरे परिवार के लिए शर्म और दुख का कारण बन गया है।”
युवाओं का गुस्सा और निराशा
पेपर लीक प्रकरण ने उत्तराखंड के हजारों युवाओं के भविष्य को प्रभावित किया। जिन उम्मीदवारों ने वर्षों मेहनत की, वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। देहरादून के एक अभ्यर्थी ने कहा, “हमारी पढ़ाई और तैयारी का क्या मतलब अगर कुछ लोग पैसे के बल पर परीक्षा ही खरीद लें? सरकार से उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी सजा मिले।”
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही साफ कर चुके हैं कि पेपर लीक प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। हाल की गई बुलडोज़र कार्रवाई उसी वादे की झलक मानी जा रही है। सरकार चाहती है कि इस प्रकरण से जुड़ा हर व्यक्ति कानून के शिकंजे में आए और युवाओं का भरोसा बहाल हो।
निष्कर्ष
UKSSSC पेपर लीक मामला केवल एक परीक्षा घोटाला नहीं है, बल्कि यह समाज और परिवारों पर गहरा असर छोड़ने वाला प्रकरण बन चुका है। खालिद की संपत्ति पर चली बुलडोज़र कार्रवाई और उसकी बहनों की टूटी शादियां इस बात की मिसाल हैं कि अपराध का असर कितनी दूर तक जाता है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि अदालत और सरकार आगे क्या कदम उठाती है और क्या यह सख्ती भविष्य में ऐसे मामलों को रोक पाएगी।