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उत्तराखंड: ग्रामीणों ने रुकवाया रेलवे का कार्य — वजहें, घटनाक्रम और आगे की सम्भावना

देहरादून, [ताज़ा] — उत्तराखंड के एक ग्रामीण इलाके में स्थानीय निवासियों ने रेलवे विभाग द्वारा चल रहे कार्यों को रोका दिया। मामला कुछ घंटों म...

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ChaloPahad Team
October 12, 2025
Oct 12, 2025 | Uttarakhand News
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उत्तराखंड: ग्रामीणों ने रुकवाया रेलवे का कार्य — वजहें, घटनाक्रम और आगे की सम्भावना

देहरादून, [ताज़ा] — उत्तराखंड के एक ग्रामीण इलाके में स्थानीय निवासियों ने रेलवे विभाग द्वारा चल रहे कार्यों को रोका दिया। मामला कुछ घंटों में बंद नहीं हुआ  ग्रामीणों की नाराजगी, अधिकारियों के साथ टकराव और अनिश्चितता ने परियोजना को फिलहाल रोक दिया है। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रित करने और बातचीत के लिए टीम भेजी है, वहीं ग्रामीणों ने अपने कुछ प्रमुख मांग-पत्र सार्वजनिक किए हैं।


क्या हुआ (लीड)

रेलवे विभाग किसी नए सुगम मार्ग/बैंकिंग लिंक या विस्तारीकरण का कार्य उस इलाके में कर रहा था। कार्य स्थल पर अचानक बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए और मशीनरी को रोक दिया। उन्होंने कहा कि काम बिना पर्याप्त सूचना और वाजिब मुआवजे के शुरू किया गया था। लोगों ने मजदूरों/ठेकेदारों को काम बंद करने की चेतावनी दी और अधिकारियों से वार्ता की मांग रखी।


ग्रामीणों की मुख्य शिकायतें

स्थानीय लोगों ने जो मुख्य शिकायतें बताईं, वे इस प्रकार हैं:

  1. भूमि का अधिग्रहण और मुआवजा: कई परिवारों का आरोप है कि उनकी खेती या आवासीय जमीन पर कार्य का असर पड़ेगा, पर मुआवजे की प्रक्रिया अस्पष्ट रही या प्रस्तावित मुआवजा पर्याप्त नहीं बताया गया।
  2. परामर्श की कमी: परियोजना शुरू होने से पहले स्थानीय समुदाय से विस्तृत सलाह-मशविरा नहीं किया गया; कई ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें प्रभावों की जानकारी ही समय रहते नहीं दी गई।
  3. पारिस्थितिक व जलप्रभाव: ग्रामीणों ने चिंतित होकर कहा कि रास्ते के निर्माण से ढलानों पर कटाव, जल निकासी में बदलाव और स्थानीय जल स्रोतों पर असर हो सकता है।
  4. रोज़गार और प्राथमिकताएँ: कुछ लोगों का कहना था कि स्थानीय कार्यबल को प्राथमिकता नहीं दी जा रही; परियोजना में बाहर के मज़दूर लाए जा रहे हैं जबकि स्थानीय बेरोज़गारों को मौका मिलना चाहिए था।


अधिकारियों का रुख

रेलवे विभाग और संबंधित अधिकारियों ने कहा कि परियोजना राज्य-विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के लिये आवश्यक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मुआवजा, पुनर्वास और पर्यावरणीय संरक्षण के प्रावधान नियमों के अनुसार ही किए जाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि वे ग्रामीणों से संवाद के लिये टीम भेज रहे हैं और यदि कोई औपचारिक शिकायत है तो उसे लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाए।


जमीन पर माहौल और घटनाक्रम

  • गाँव में तनाव अधिक था, पर झڑपों की खबर फिलहाल नहीं मिली; दोनों पक्षों की मध्यस्थता की कोशिशें जारी रहीं।
  • कुछ स्थानों पर स्थानीय पंचायतों ने आपात बैठक बुलाई और वरिष्ठ प्रशासन से शीघ्र वार्ता की मांग की।
  • प्रशासन ने मौके पर पुलिस बल तैनात किया पर कहा कि वह केवल शांति सुनिश्चित करने और बातचीत के लिये है—कठोर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई फिलहाल नहीं की गई।


सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय संदर्भ

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ विकास तो लाती हैं, पर साथ में संवेदनशील पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय आजीविका पर असर भी डाल सकती हैं। पिछले वर्षों में भी कई परियोजनाओं के दौरान यही टकराव देखा गया — भूमि अधिग्रहण, अपर्याप्त पुनर्वास, और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण स्थानीय विरोध उठे। ऐसे मामलों में दीर्घकालिक समाधान तभी सम्भव है जब परियोजना-निर्माता समुदाय को साथ लेकर चले।


क्या कहा जा सकता है — विशेषज्ञ दृष्टि

नीति और विकास विशेषज्ञ बताते हैं कि तीन चीज़ें अनिवार्य हैं: पारदर्शी संवाद (prior consultation), न्यायसंगत मुआवजा व पुनर्वास, और पर्यावरणीय प्रभाव का सख्त मूल्यांकन। वे कहते हैं कि स्थानीय सद्भाव बनाए रखने के लिये छोटी-छोटी बातों  जैसे स्थानीय रोजगार आश्वासन, जल निकासी के ठोस उपाय, और नियमित स्थानीय निगरानी  का उल्लेख पत्र में होना चाहिए।


अगले-कदम की रूपरेखा (प्रस्तावित)

  1. तत्काल बातचीत: प्रशासन, रेलवे विभाग और गांव प्रतिनिधियों की त्वरित बैठक — लिखित समझौता व कार्य-रोडमैप तैयार हो।
  2. समावेशी मुआवजा-प्लान: प्रभावितों की सूची, भूमि-मूल्यांकन और पुनर्वास विकल्प सार्वजनिक किए जाएँ।
  3. पर्यावरण ऑडिट: तात्कालिक पर्यावरणीय प्रभावों की त्वरित समेकित जांच कर संरक्षण उपाय लाएँ।
  4. स्थानीय रोजगार: ठेकेदारी अनुबंधों में स्थानीय श्रम को प्राथमिकता देने के प्रावधान जोड़ें।
  5. निगरानी मंच: ग्राम प्रतिनिधि, प्रशासन और तीसरे-पक्ष विशेषज्ञों का समन्वय मीटिंग नियमित रूप से हो।

निष्कर्ष

ग्रामीणों द्वारा रेलवे कार्य रोकना केवल विरोध नहीं; यह एक संदेश भी है  विकास पर स्थानीय समुदाय की सहम…

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