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देहरादून: दो IAS और एक PCS अधिकारी के खिलाफ जांच, सरकार ने नियुक्त किए जांच अधिकारी

देहरादून, 10 अक्टूबर 2025  हरिद्वार के सराय गांव में भूमि खरीद में अनियमितताओं के आरोपों के चलते राज्य सरकार ने दो आईएएस और एक पीसीएस अ...

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ChaloPahad Team
October 11, 2025
Oct 11, 2025 | Uttarakhand News
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देहरादून: दो IAS और एक PCS अधिकारी के खिलाफ जांच, सरकार ने नियुक्त किए जांच अधिकारी

देहरादून, 10 अक्टूबर 2025  हरिद्वार के सराय गांव में भूमि खरीद में अनियमितताओं के आरोपों के चलते राज्य सरकार ने दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इस मामले में पहले ही कुछ अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, और अब सरकार ने जांच प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए वरिष्ठ जांच अधिकारियों की नियुक्ति की है।


कौन होंगे जांच अधिकारी

सरकार ने जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी के खिलाफ चल रही विभागीय जांच के लिए सचिव सचिन कुर्वे (आईएएस) को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। वहीं एसडीएम अजयवीर सिंह के मामले में अपर सचिव डॉ. आनंद श्रीवास्तव (आईएएस) को जांच अधिकारी बनाया गया है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे एक माह के भीतर निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें।


मामला क्या है

सराय गांव में लगभग 2.3 हेक्टेयर भूमि  जो कूड़े के ढेर के पास स्थित थी  कथित रूप से अत्यधिक कीमत पर खरीदी गई थी। शुरुआती जांच में कई अनियमितताओं के सबूत सामने आए थे, जिससे संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। सरकार ने कहा है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ उसकी नीति स्पष्ट है और किसी भी प्रकार की ढील नहीं बरती जाएगी।


प्रशासन की अब तक की कार्रवाई

मामले में पहले भी कार्रवाई हुई थी  कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार की गई। अब वरिष्ठ जांच अधिकारियों की नियुक्ति से उम्मीद है कि मामला जल्द निष्पक्ष तरीके से सुलझेगा और दोषियों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे।


आगे की प्रक्रिया

जांच अधिकारी उपलब्ध दस्तावेजों, गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसके बाद शासन आवश्यक अनुशासनात्मक कदम और धन-वसूली जैसी कार्रवाई करेगा। सरकार ने इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।


पत्रकारिता की दृष्टि

इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू जांच की निष्पक्षता, समय पर कार्रवाई और सार्वजनिक भरोसा बनाए रखना है। भ्रष्टाचार के मामलों में यदि दोषी पाए जाते हैं, तो तत्काल कार्रवाई और जवाबदेही होना बेहद जरूरी है, ताकि शासन की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति प्रभावी दिखाई दे।


इस मामले पर जैसे ही जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे, हम पाठकों को अपडेट देंगे।

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