देहरादून, 12 अक्टूबर 2025 तकनीक के इस दौर में अपराधी भी अब आधुनिक तरीकों से लैस हो चुके हैं। उत्तराखंड में हाल के दिनों में एटीएम से ज...
देहरादून, 12 अक्टूबर 2025 तकनीक के इस दौर में अपराधी भी अब आधुनिक तरीकों से लैस हो चुके हैं। उत्तराखंड में हाल के दिनों में एटीएम से जुड़ी चोरी के मामलों में एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है आरोपी यूट्यूब वीडियो देखकर चोरी की तकनीक सीख रहे हैं और फिर उसे अंजाम दे रहे हैं। पुलिस और साइबर सेल ने इसे गंभीर सुरक्षा चुनौती मानते हुए निगरानी तेज कर दी है।
यूट्यूब बना अपराधियों का ‘गुरु’
पुलिस जांच में पता चला है कि कई आरोपी यूट्यूब और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वीडियो देखकर एटीएम तोड़ने और कैश निकालने के तरीके सीखते हैं। कई मामलों में चोरों ने बाकायदा पहले ऑनलाइन ट्रिक समझी, फिर उसे प्रैक्टिस कर असली मशीनों पर आजमाया। यही वजह है कि अब चोरी के तरीके पुराने नहीं रहे तकनीक से लैस और बेहद योजनाबद्ध हो चुके हैं।
उत्तराखंड में बढ़ते मामले
राज्य के कई जिलों में एटीएम से छेड़छाड़ और चोरी की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। कुछ जगह मशीन के पैनल काटे गए, तो कहीं कार्ड स्वैप और तकनीकी उपकरणों से कैश उड़ा लिया गया। सीसीटीवी फुटेज और बैंक रिकॉर्ड खंगालने के बाद पुलिस ने कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। जांच में साफ हुआ है कि ज्यादातर आरोपी स्थानीय नहीं, बल्कि बाहरी गैंग से जुड़े हैं।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी अब अपराधियों के लिए हथियार बन चुकी है। जिन एटीएम में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है जैसे सीसीटीवी का सही से न चलना या निगरानी की कमी वहां ऐसे अपराध जल्दी होते हैं। कई बार यह सब कुछ कुछ ही मिनटों में कर दिया जाता है।
पुलिस की अपील और सख्ती
बैंक और प्रशासन की पहल
बैंकों ने एटीएम सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नए कदम उठाए हैं सीसीटीवी कैमरों की अपग्रेडिंग, रात में निगरानी बढ़ाना और संदिग्ध गतिविधियों की मॉनिटरिंग को और सख्त किया जा रहा है। कुछ जगहों पर जीपीएस और सायरन अलार्म जैसी तकनीक भी लगाई जा रही है ताकि किसी भी अनधिकृत गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
आम जनता के लिए जरूरी बातें
निष्कर्ष
तकनीक के फायदे जितने हैं, खतरे भी उतने ही बढ़ गए हैं। एटीएम चोरी के नए-नए तरीकों से निपटने के लिए पुलिस और बैंकिंग सिस्टम की निगरानी जितनी ज़रूरी है, उतनी ही जागरूकता आम नागरिकों की भी होनी चाहिए। सावधानी ही इस बढ़ते साइबर-अपराध से बचने की सबसे मजबूत ढाल है।